पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१०२

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मानित। एवीसी पा ममम्म पसीसी अगम्य (मयर सम्पपीता दे० (१-२८ सो) अनम्य) व वि० शुविका यार MR शिस दे० (१-२८ वी) (उ- सी) (-२) न्युर शिस दे० (-२) देरीचंद-इनके विषय में कफ मी बात नहीं। सा मामी (ए-२८ पफ) वितोte (fat) ३० (-१७) दंगीसिर (रामा)-मुरारमक के राजा, मुख मीदच-स. १८१२ के लगमग वर्तमान अंत देव मिमभामपदातास ९७२मगमग पुर नगर निवासी बाहि के माद थे। वर्तमान थे। दे०(एसी) ताच पचौती दे०(प-१७) देवीसिंह पिलास-राडा देवीसिह कला वैपक र पनीरा दे०(५) निवामा.(मी) देवीदास पुरेलफा मिषाप्ती, स० १७४२ रे | देवी स्तुति और सम-परिष-गंगाराम कता जगमग वर्तमान में जानीपर दास के शिम्य पि० देवी स्तुति मौर रामरित्र वर्णन । ३० मही, भाति के कापस्थ न पड़ते है। करोली (राजपूतामा) के रामा लमपाक्ष देवी शक्ति पचीसी-मल्य माम माम्य पचीसी मर अगम्य (भमन्य ) लिका० स० राममाष्ट्रिय मस्ति ० (ग-1) (म-१२) १६ दि. दुर्गा-मुति। ६०(१२ श्री मेम रलाकर दे० १-२२०) (ज-सी) देवीदास-पे दो मसिर देवीदासो (जगमोचन | दोडनानदारक-महाराज सापसिंह ( नागरी दास क शिष्य और देशबही) से मित्र दास) कत, विकृष्णनीसा का वर्णन ! ६,इम पिपय में कुछ मी जात नाही। दोहा-रामा पृथ्वीसिंह फत, वि० फुट दोहों दामोदरीचा (ब-4) का समह । ० (मो) माया भारत बार तंप द० (-२) दोहा-रसग कपि स्य, लि० का स० १८५५ देवी मिनय--काम कपि र विदुर्गा-राति। पि०मचर्यनादे० (-१०१) दोगान पद-मुफनिपान विरुष्ण मकि देमीसाप-नके विषय में कुछ भी सात महीं। विषयक मान । दे० (-1) मना ३.(0-६E) दोहावली-गोसामी तुलसीदास तालि० का दंगीसिंह (राजा) देरी नरेश स० ७॥ स० पि.चम कथा पोहों में। दे० कक्षामा वर्तमान भाषा मरेण मधुकर (-२) (-३५३ बी) सादि से पोपदी पीड़ो में थे। दोहारी-मछयाकिशोरी शरण महिo पनि मौका (1-2) का००१ पि. बानोपाय।०(ज- बार विपास ६०(१-२ श्री) १३४ पल)