पृष्ठ:हस्तलिखित हिंदी पुस्तकों का संक्षिप्त विवरण.pdf/१००

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दौरय का वि० का0 पं० १९५८, वि० यती | दुर्मनसिह-रेरी के राणा स० १८४४ के लगभग का वर्गमा २० (अ) पठमान, परमात मिभके मामधदावा । दुर्गादत-प्रपिकादश ग्याप्त छ पिता ये १६वी (१-२) शतानी र अन्त में इप, बनारस मियाप्ती, दुर्जनसिंर-पऔर पुरेखपार) के जागीरदार, ठाकुर बलसिह के माभित्र परमाल के पौत्र, स०1983 मगमग पते

  • वित राण०(-2)

माना गाने पास के प्राण्यवाता।दे० (-१) दुर्गापाठ मापा-मजीतसिंह रूल, मिका दासार--(२० अशाव) नि० का स०१७२०॥ स०१७षि दुर्गा सप्तशती का मापानुवाद । लि. का स. 18 वि० एफट काप का दे० (ग-४०) सपा । दे० (-) दुर्गामाता-स. १५३ क लगभग पर्तमान, | दूसनदास--गजीवन दास शिप्य, स० ११७ प० रामाराम कमाधित मान अपने ग्रंप में के लगमग पतमान, टोपरखा और पह रोक महाराज मजीतसिंह के सरदारों और सवाम दास के गुरु थे। दे० ( अ-२२१) पेण्पा के सवार मलयसिह कबीच चार (ब-११) इट (यों) के मैरानवाले युबका पणभ समावणी दे० (--) म्हा-ये कवि कालिदास विवेदी के पौत्र और नीति पदे ग्रंप (मापक यसो) ३० कषि सध्यमाप त्रिदेवी के पुत्र थेसं०१० (क-२) के लगभग पर्वमामा मतरवेद, कानपुर निवासी थे। पिसाद-प्रयागोजाब के पुम, जाति के काय स्थRER के जगमग वर्तमाम, रामके तीन करिव महामायावे. (प-1) (R१२) (ru) माई (१)गा प्रसाद (२) देसीमसाद मौर (३) गणेशप्रसाद थे। दहा-सपर कषि के पिता, जाति के कापण गरपोष दे० (-२) काशी निवासी, १८६७ के पूर्व वर्तमान दुर्गायतक-विष्णवत्त व दिदुर्गा-स्तुति । ३० (-२) दूपण दर्पण-पास कवि त मि० का १० १८८१ विकास्य मेट वर्णन। दे० (-१०२) दमनदास-मके विषय में कुछ भी बात नहीं, येगम-फण भकिकी कविता से साधुबान दूपण विचार-पनमा पनि का १०९७१४) मि० का००१-30नि काम्य भेद पनि । पड़ते हैं। रागपा.(ब-१५) घणोनास भमौरदास स्वामिका R०१८५११ दुर्जनसिंह- १८ हो यतादी में पा पपवेम वि०विधी काम्परचनाके पोपों का सत्य कवि के माभपहाता थे।३० (-) दे(-२२०ी)