पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/६२३

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आराईयां रग राग गाते हैं ओ, परेशानियां उठाते है, रोज कहते हो यस जरा ठहरते हम अभी एक छिन में आते हैं। कर से यह दीप टिमटिमाता है क्या कभी ध्यान इसका आता है? हुए चालीस वरस से कपर सेल अब खत्म हुया जाता है । प्राण तपे कि वेदना जागी, कैसे हो मन विशुद्ध वैरागी रगा मेजी मा खेल जव हो तो क्यो न सव सृष्टि बने अनुरागी? हमने चाहा कि वॉप ले मन को, तुमने सोचा कि मृत्तिका कन को- इतनी जुरआत कि बने स्पन्दन होन और दे थाम इस रुधिर-रन को। हमने कार्य गव किया सयम का? जोग-वैराग का नियम यम का 7 हम में यह ताब पहा है, पीतम, जो कि हम दम भरें परिश्रम का? हम विपपायी जनमक