पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५३४

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मेरे अतीत की ज्योति लहर जागो मेरे सोये सपनो, यन-छन उठ आओ निखर - निसर, लहरो मेरे अम्बर मे, ओ मेरे अतीत वो ज्योति लहर। ओ, मेरे उज्ज्वल विगत बाल, ओ मेरे बल-विनाम - निधान,- ओ, विश्व - विजन - हुकार भरे मेरे प्रचण्ड जग मग विहान,- ओ तुम, जो करते हो मेरा आनन्त्य - प्रहर से गठ - बन्धन,- जिसके कारण नित्यता यमर करती है मेरा अभिवन्दन, ओ मेरे वही व्यतीत, विगत, भर दो तुम मेरा अंतरतर, रहानी मेर मानम मे मेरे अतीत की ज्योति लहर। है रमा हुआ जो विगत काल इम भारत के रज-कण-कण मै,- लहराता है जो नित मेरे जन-गण के शोणित नतन में,- जिसको महिमा के साखी है महाड, मेरी नदियो गाती रहती है बाल कल-कल, हम विषयाया अनमक मेरे मेरे जगल- जिसको गाया