पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१६३

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7 किसके अगुलि - परिचालन में रमते हैं उद्भव, नाश सदा? किसकी भ्रूभगी का नाटन है प्रलय, सृष्टि की यह विपदा? कोई इसका फर्ता भी है। या स्वयम्भूत है जगड्बाल करते-करते थक गयी तक को तीन चाल, करपना शिथिल, है बुद्धि थकित मति गति चकिता, विश्वास भूषा, कर्ता, कारण का तत्त्व कहो, कोई फैसे जाने अचूक इसका निणय ? ? इस जंग की नाटक-शाला के उस सूपचार फा किसे पता? वह है भी, या कि नही भी है, यह भी कोई कब सका बता पर, मै मामय कैरो आया ? कय निक्ला मै अगारो से' कैसे में हुआ विभूषित इन उपकरणो के शृगारो से? इन दस इन्द्रिय के वचन से मैं बँधा अहो विस क्षण, बोलो कब हुए चलिप्त, जीवित,गतियुत गम अगो के रजकण, बोलो' हम विपपायी जनम के