पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/९९

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सुधारना- घी सड़ा हुआ या दुर्गन्धित हो तो ऐसा करो कि उसे देगची में या कढ़ाई में डालो और ज़रा गर्म करो, जव ढीला हो जाए तो उसमें एक गिलास दूध कच्चा, एक चमच नमक, थोड़ी लौंग और नीबू की पत्तियाँ डाल दो। अच्छी तरह औटा कर उतार लो, यह घृत ताजे के समान सुगन्धित स्वच्छ और साफ हो जाएगा। गुण. गाय का घी- ठण्डा, देर में पचने वाला, मीठा, अग्नि को बढ़ाने वाला, रसायन, रुचिकर, नेत्रों को हितकारी। शरीर की कानति को बढ़ाने वाला, सुन्दरता, तेज और बुद्धि को बढ़ाने वाला, वीर्य वर्द्धक, स्वर को सुधारने वाला, हृदय को हितकारी और क्षय में बल कारी है। ताजा घी- भोजन में स्वाद और रुचि को बढ़ाने वाला, नेत्रों को हित कारी, तृप्ति कारक और वीर्य को बढ़ाने वाला है। पुराना घृत- तेज, दस्तावर, खट्टा, हल्का, कडुआ, उल्टी लाने वाला, जख्म को भरने वाला, योनिरोग, गुल्मरोग, शोथ-मृगी, मूळ, स्वास खाँसी बवासीर, पीनस, कोढ, उन्माद और रोगोत्पादक कीटा- णुओं कोनाश करने वाला है। दश वर्ष तक का घृत पुराना कहाता है। १०० वर्ष तक का कौम्भ और आगे का महाघृत । 90