पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/९०

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वीर्य की शक्ति को बढ़ाने वाली, और कुछ काविज होती है।

हलुआ- अनेक प्रकार का बनता है, सब प्रकार हलुआ गरिष्ट है, मन्दाग्नि वाले को न खाना चाहिये। रोटी- वलकारी, और धातुओं को बढ़ाने वाली होती है। बाटी- वीर्य वर्द्धक महा दुर्जर, पराक्रम उत्पन्न करने वाली है । शारीरिक परिश्रम करने वाले को खानी चाहिए। कचौरी- नेत्रों को हितकारी, और खून को बढ़ाने वाली है। बड़े उर्द-के तेल में बनते हैं । वीर्य वर्धक और लकवे के रोग में विशेष गुण करते हैं। दही बड़े- रुचिकर्ता, बलकर्ता और विवंध नाशक होते हैं। कांजी वड़े- ठण्डे, दाह, शूल, अजीर्ण, सब को नाश करते हैं। नेत्रों के रोगी को न खाना चाहिएँ। है