चावल की जातियाँ सौ से भी ऊपर पहुँचती हैं। भोजन के मूल अवयवों को देखते-इसमें पोषक तत्व और स्नेह भाग बहुत कम है। परन्तु इसमें खनिज द्रव्य और कर्वोज (श्वेत सार) खूब अधिक है। इसमें नत्रजन का भाग अधिक होने से अत्यन्त सरलता और शीघ्रता से पच जाता है। यदि अकेला खाया जाए तो चावल में कर्बोज०, २५ और शर्करा०, ४ है। पकने पर' खूब नर्म हो जाता है परन्तु पोषक तत्व का कुछ भाग उड़ जाता है। यह बहुमूल्य और स्वाभाविक खाद्य है। खास कर रोगियों के लिए अत्यन्त उपयोगी पथ्य हैं- अत्यन्त सरलता से हजम हो जाता है । प्रायः नये चावल पसन्द नहीं किये जाते, पुराने चावल अधिक पसन्द किए जाते हैं। क्योंकि यह शीघ्र पचते हैं। संयुक्त प्रान्त के सर्वोत्तम चावल, नेपाल की पहाड़ी की तराई में होते हैं और देहरादून और टनकपुर मण्डी से बाजार में आते हैं, हंसराज और वासमती चावल बहुत अच्छा माना जाता है। ७२
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