पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/२०

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को किसी दूसरी कन्या या लड़के के साथ एक शैय्या पर सोने देना निहायत बेहूदा बात है। ऐसी ग़लती कभी न करना चाहिए। इससे जहाँ कन्या की शारीरिक और मानसिक बढ़ती रुक जाती है–वहाँ अनेक बुरी आदतें पड़ जाने का भी भय है।

सोते समय लड़कियाँ मुँह ढाँप कर या गुड़मुड़ाकर होकर न सोवें। यह आदत यत्न करके छुड़ा देनी चाहिए। उन्हें खूब खुलकर स्वच्छन्दता से सोना चाहिए। जिस से फेफड़े भरपूर शुद्ध वायु खींच और फेंक सकें। जूड़ा बँधा रख कर सोने से रक्तवाहिनी धमनी पर दबाव पड़ता है इससे स्वप्न दीखते हैं। इसलिये बालों को खोलकर सोना चाहिए।

प्रातःकाल उठते ही तत्काल शौच जाने की आदत माता को बचपन ही से कन्या को डाल देनी चाहिए तथा कन्या को पाखाने में देर तक न बैठी रहें इसकी ताकीद रखनी चाहिए। साथ ही आब़दस्त के लिये ताज़ा, साफ़ और बहुत सा पानी देना चाहिए और मल द्वार को भली भाँति शुद्ध करने की रीति माता को समझा देनी चाहिए–बल्के बचपन ही से मल द्वार को बहुत उत्तम रीति से साफ़ करने की आदत डाल देना चाहिए।

मल द्वार के समान ही मूत्र द्वार भी इसी भाँति, स्नान के समय माता स्वयं सावधानी से साफ़ करे जिस से उसे आदत पड़ जाय। इस कार्य में संकोच करना सैकड़ों रोगों को शरीर में घर करने देना है। इस काम के लिये सदैव ताज़ा पानी ही काम में लाना चाहिए।

जाड़ों में एक दिन छोड़कर और गर्मियों में सप्ताह में एक बार सरसों के शुद्ध तैल की मालिश लड़की के शरीर पर खूब अच्छी तरह कर देना चाहिए। फिर शरीर से बिलकुल चिकनाई छूट जाय इस प्रकार स्नान करा देना चाहिए।

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