(क) प्रति दूसरे दिन लड़की का सिर अवश्य धोया जाय । (ख) धोने के लिये दही, बेसन, मुलतानी मिट्टी का प्रयोग किया जाय । साबुन का नहीं। (ग) बहुत से पानी से बालों में से मिट्टी या दही का अंश अच्छी तरह साफ़ किया जाय। (घ) वालों के बिल्कुल सूख जाने पर थोड़ा साधारण तैल डालकर सीधे वाल बाँध दिये जॉय । बालों को कसकर गूंथना या और जकड़ना ठीक नहीं। बालों में नित्य बार-बार कंघी डालनी चाहिए। कंघी से चालों को झटकना चाहिए। (3) सप्ताह में एक बार बालों को बढ़िया साबुन या शेम्पू द्वारा साफ किया जाय । स्नान के बाद कन्याओं को कुछ गायन, भजन और मन्त्र, श्लोक आदि कण्ठ कराकर नित्य मधुर स्वर से गाने का अभ्यास शोर रचि पैदा करनी चाहिये । गायन सुरुचिपूर्ण, देशभक्ति, ईश्वरभक्ति और विद्याव्यसन सम्बन्धी हों। वे विशुद्ध संगीत की पद्धति पर गाये जायें । गायन सीखने को अवश्य कोई गुणी और सच्चरित्र गायनाचार्य लगा देना चाहिये। इसके अमन्तर कन्या को कुछ पढ़ना चाहिए। यदि कन्या स्कूल नहीं जाती है तो घर पर अध्यापक ग्रादि का प्रबन्ध करना श्रावश्यक है और हसे १० बजे तक का समय वह पढ़ने में व्यतीत करे। १० बजे बाद उसे रसोई में माना या मिसरानी की सहायता करनी चाहिए। १० वर्ष से अधिक श्रायु की कन्या को रसोई में कोई एक चीज अपने हाथ से चनाना और परोसना चाहिए ।
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