पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१७८

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मारी से निकाल कर झाड़ते रहो। यदि पुस्तकों में कीड़ा लगने का भय हो, या कीड़ा लगने लगे तो फिटकरी या सफेद मिर्च की बुकनी उन पर बुरका दो। इसके सिवा मार्च और अक्टूवर के महीनों में ऊन का एक कपड़ा फिटकरी के पानी में भिगो कर छाया में सुखा लो। फिर उसी कपड़े से पोंछ कर पुस्तकों की अलमारी में रख दो । अलमारी में भी सफेद मिर्च और फिटकरी की बुकनी डाल दो। यदि पुस्तकों की जिल्द वाँधती बार लेई में फिटकरी या नीला थोथा डाल दिया जाय तो कीड़ों का भय नहीं रहता। आलमारी मे यदि कीड़े लग गये हों तो उन पर लाख का चारनिश कर दिया जाय इससे कीड़ों का भय नहीं रहेगा। कमरे की दीवारों पर तारकोल पुतवा देने से दीमक कम हो जाती है। आलमारी कदापि सील की जगह पर न रखी जानी चाहिए । वर्तन भिन्न-भिन्न उपयोग और धातु के वर्तन भिन्न-भिन्न स्थान पर करीने से रखे जाने चाहिए। पानी रखने के वर्तन प्रायः साफ नहीं होते। खास कर बड़े- वड़े वर्तन । परन्तु पानी के वर्तनों का भलीभाँति साफ होना वहुत ही ज़रूरी है। प्रायः लोटे और गिलासों की पेदी में मेल जमा ही रहता है। यदि वर्तनों में कलई रहे तो बहुत अच्छा है। क्योंकि कलई रहने से उनमें मैल जमने की बहुत कम सम्भावना है। पानी के वर्तनों को सदैव ज़मीन पर न रख कर पत्थर या लकड़ी अथवा लोहे की घड़ोंची पर रखना चाहिए । बड़े-बड़े वर्तनों में डोरी लगानी चाहिए और उसी से पानी निकालना चाहिए । सव वर्तनों को ढके रहना उचित है।