जिसका फल यह होता है कि बहुत से रोग-जन्तु कपड़ों में मिल जाते हैं तथा रोग विस्तार पा जाता है। यह बात बहुत ज़रूरी है कि धोबी के यहां से आने पर कपड़ों को २-३ घण्टे तक धूप में डाल कर भली भांति सुखा लिया जाय । बहुधा धोबी कपड़ों को किराये पर दे देते हैं । या स्वयं पहनते हैं। इसलिए यदि साधारण नित्य के इस्तेमाल करने के कपड़ों को यदि घर में धो लिया जाय तो बहुत लाभ हो सकता है । यदि तुम स्वयं धोना जानती हो तो अपने नौकरों से भी आसानी से धुलवा सकती हो। कपड़ा धोने में, पानी कितनी प्रकार का होता है और किस प्रकार के पानी में कपड़ा साफ हो जाता है। इस बात का ज्ञान होना जरूरी है, प्रायः देखा जाता है कि नदी या तालाव के पानी में धोया कपड़ा अधिक साफ होता है, कुएं के पानी में, अधिक साफ नहीं होता, क्योंकि जमीन में बहते रहने के कारण पानी में प्रायः बहुत प्रकार के क्षार और खड़िया का अंश मिल जाता है, इसी कारण से उस पानी में अधिक साफ होते हैं । वर्षा का पानी भी सदैव अच्छा होता है। क्योंकि जमीन पर गिरने से नाना प्रकार के क्षार उस में मिल जाते हैं। योरोप में कपड़े धोने के लिए बहुत-सी रासायनिक चीजों का प्रयोग किया जाता है। हमारे देश में साबुन का बहुधा प्रयोग होता है। बाजार में कपड़े धोने का सावुन प्रायः खराव और महँगा मिलता है। इसलिए हम सावुन वनाने का नुसखा यहां लिख देते हैं। सोडा कासकारी १ पाव । तिल, सरसों, अरण्डी या गोले का तेल १ सेर । पहिले तेल को बर्तन में डाल कर सोडा मिला दो यौर लकड़ी के डन्डे से हिलाती जाओ। जब दोनों चीज एक दम मिल जाय तब जमने दो और छुरी से काट लो।
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