चीनी मिट्टी का ढकनेदार बर्तन ले उसे ज़रा गर्म कर उसके मुख पर तारों की छलनी रख उसमें चाय डाल दो। ऊपर से गर्म पानी छोड़ दो। और तुरन्त ढकना बन्द कर दो। अब उसमें यथा रुचि चीनी और शकर मिला कर काम में लो।चाय ठण्डी याबासी न पीनी चाहिए। काफ़ी भी इसी भाँति बनती है। यह चाय से गर्म है और रगों में तेजी दिखलाती है। इसके बीज आते हैं.। उन्हें कूट कर चूर्ण कर लो और घी में कल्हार कर तब उपयोग में लाओ। काफ़ी का चूर्ण बाज़ार में मिलता है। इसे दूध में डाल काढ़े की भाँति उबालना चाहिए। फिर शकर मिला कर पीना चाहिए । . रोगी का पथ्य ! मण्ड,यवागू-लपसी घर में कभी-कभी रोगी के लिए पथ्य-पानी बनाने की भी जरूरत या पड़ती है इसलिये हम यहाँ उसका विधान भी संक्षेप ले लिखते हैं । चावल या जौ लेकर ज़रा कूट डालना चाहिये। जौ.को भिगो कर कूट कर छिलका दूर कर के कूटना । इसमें १६ गुना पानी डाल कर खूब पक जाने पर माण्ड बनता है। ग्यारह गुने पानी में पकाने से यवागू या पेया वनती है। और नौ गुने पानी में पकाने से लपसी बनती है। पेया और लपसी छानी नहीं जाती। खील का माण्ड- ताज़ा खील थोड़े गर्म पानी में कुछ देर भिगो देना, फिर कपड़े में छान कर जो माण्ड जैसा पदार्थ निकले वह खील का माण्ड होगा। .
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