पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१०२

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की सानी नहीं रखते। किसी-किसी नगर काही प्रसिद्ध है। यू० पी० में दही अच्छा होता है। जमाने की विधि- यह है कि दूध को एक या दो उबाल देकर प्रौटाओ, पीछे कुंडों में भर कर ज़रा ठण्डा करो-गर्मी में ज़रा ज्यादा ठण्डा होना चाहिए । तिस पीछे जरा-सा खट्टा दही या मठ्ठा उसमें डाल दो और उलट पुलट कर गड़बड़ करदो । ४ या ५ घण्टे में दही जम जाता है, चक्का दही की तारीफ है जो ऐसा हो कि कुँडा उलट दें तो एक डला सा गिर जाय-पानी न बहे। पानी के दही को कपड़े में बाँध कर निचोड़ते है वह बहुत सौंघा हो जाता है। दही स्वादु, बलकारक, रुचि बढ़ाने वाला, दीपन, ग्राही और संग्रहणी में हितकारी है। मीठा दही- गाढ़ा, वीर्य वर्द्धक, भारी और ठण्डा है। फीका दही- मूत्र लाने वाला, दाह कारक और भारी है। खट्टा दही- रन बिगाड़ने वाला , पाचक और अग्नि दीपक है। बहुत खट्टा- पाचक और जलन करने वाला है।