से बन्द कर दो। फिर उसके नीचे श्राग जला दो। ध्यान रक्खो कि कपड़े पतीले की पैदी तक न पहुंचने पावें। नहीं तो जल जावंगे। यदि १०-१२ कपड़ों की भट्टी हो तो १ घण्टे तक उन्हें पकने दो । इसके बाद उसे ठण्डा होने दो । फिर उन्हें हल्के हाथों से धो डालो। अभ्यास से भट्टी की यह क्रिया ठीक हो जायगी और कपड़े खूब साफ धुलने लगेंगे। धुले हुए कपड़ों को जहाँ तक हो खूब तेज धूप में सुग्वाग्रो इससे कपड़ों में चमक या जावेगी। इस प्रकार कपड़ों के उबालने की क्रिया सिर्फ सफेद रंग के कपड़ों की होती है । रंगीन कपड़ों को भट्टी पर चढ़ाना ठीक नहीं, क्योंकि कच्चे रंग के कपड़ों का रंग फेल कर और कपड़ों को भी खराब करेगा। कच्चे रंग की परीक्षा यह है कि साबुन या मोड़ा लगाने पर रंग छूटने लगता है । पर रंगीन कपड़ा यदि पक्का भी हो तो भी भट्टी पर नहीं चढ़ाना चाहिए। उन्हें सोड़े सावुन से ठण्डे पानी में ही धोना चाहिए। रंगीन कपड़ों को धोकर यदि अन्तिम पानी में एक चम्मच सिरका डाल दिया जाय और इस पानी में कपड़े को भली भांति भिगो कर निचोड़ लिया जाय, तो रंग पर बहार या जायगी । रंगीन कपड़े सदा छाया में सुखाने चाहिए । यदि सूती धोती में रंगीन रेशमी किनारी हो तो उसे कपड़े से खूब कसकर बांध दो और तब भट्टी पर चढ़ायो । फलालेन के कपड़े धोना-- फलालेन के कपड़े धोने में तीन बातों का ध्यान रखने की आवश्य- कता है। १-वे खाली पानी में न धोये जायं । २-उबाला हुअा साबुन का पानी, जिसमें कपड़ा धोना है न बहुत गर्म हो न ठण्डा । ३-जहां तक हो सके, कपड़े जल्द सुखा लिए जायं । फलालेन जब धोना हो, तब दो टबों में साबुन का उबाला पानी तैयार रक्खो । पानी हाथ सहने योग्य गुनगुना हो । दूसरे टब में थोड़ी
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