पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१४३

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१३२ योरोप में कपड़े धोने के लिए बहुत-सी रासायनिक चीजों का प्रयोग किया जाता है । हमारे देश में साबुन का बहुधा प्रयोग होता है । बाजार में कपड़े धोने का साबुन प्रायः खराव और महंगा मिलता है । इसलिए हम साबुन बनाने का नुसग्वा यहां लिख देते हैं। सोडा कास्टिक १ पाव । तिल, सरसों, अरण्डी या गोले का तेल १ सेर । पहिले तेल को बर्तन में डाल कर सोडा मिला दो और लकड़ी के इन्डे से हिलाती जायो । जब दोनों चीज एक दम मिल जाय तब जमने दो और छुरी से काट लो । कपड़े पर साबुन लगाकर उसे धूप में डाल दो। गीले कपड़े का मैल धूप में डालने से फूल जायगा । फिर हल्के हाथ से पानी में कपड़े को मलने से सहज ही वह छूट जाता है। इस रीति से बहुत महनत भी न करनी होगी और कपड़ा जल्द साफ हो जायगा। पर यह ध्यान रक्खो कि कपड़ा धूप में सूख न जाय । यदि सूखने लगे तो उस पर पानी के छींटे देती रहो । यदि धूप में डालने का अवसर न हो तो कपड़े में साबुन लगाकर उसे गर्म पानी में डाल दो। यदि साबुन के माथः थोड़ा सोड़ा भी मिला लिया जाय तो अच्छा है। धोबी लोग भाप में कपड़ों को उबाल कर उसका मैल साफ करते हैं। इसे भट्टी चढ़ाना कहते हैं । एक बड़े से पतीले में बराबर ऊंचाई के ३ पत्थर रख उन पर बाँस की खपच्चियाँ सीधी-तिरछी रख पतीले में इतना पानी भरो कि तीनों पत्थर डूब जायें। इसके बाद कपड़ों को सोड़े के पानी में भिगो तथा साधारणतया निचोड़ कर एक पटरे पर कपड़ा फैलाकर हल्के हाथ से साबुन लगा दो। कपड़े पर जहां मैल अधिक हो वहां साबुन ज्यादा लगाने से कपड़े ठीक साफ होंगे। इसके बाद कपड़ों को निचोड़ कर पतीले में खपच्चियों के ऊपर इस प्रकार गोलाकार रक्खो कि पतीले के बीच में खाली जगह रहे। इसके बाद उन सब कपड़ों पर किसी बड़े कपड़े की तह रख कर पतीले को ढक्कना