अधिक आवश्यकता होती है। अच्छे कच्चे श्राम चीर कर तोल लो। और उबाल कर उसमें १६ वां हिस्सा (अर्थात् सेर में छटाक) राई, एक तो हल्दी, एक तो० लोल मिर्च और दो तो० नमक पीस और पानी में घोल प्रामों में डाल दो । मुह बन्द कर चार दिन तक धूप में रक्खो। इसके बाद राई के बराबर सरसों का तेल छोड़ दो और पाठ दिन के अनन्तर खाने के उपयोग में लायो । यह अचार १२ दिन से अधिक नहीं ठहरता। दूसरी विधि-- इस विधि में मुख्य मसाला तेल है; जितना ही उत्तम और ज्यादा तेल होगा, उतना ही अचार अधिक दिन तक ठहरेगा । अच्छे उत्तम श्राम ले कर २४ घन्टे पानी में भिगो दो, फिर सरोते से चार फाँक कर काट लो, वह फाँके परस्पर जुड़ी रहें । इसके बाद मेथी १ सेर, पिसी हल्दी ३ छटाक, सौंफ सवा पाव और नमक ग्रामों से चौथाई माग के समान लेना चाहिए । कच्चे चने श्राध पाव । इन सब मसालों को पीस श्रामों में भर तागों से बांध अमृतबान में डाल ऊपर से स्वच्छ सरसों का तेल डाल दो, जो उनसे ४ अंगुल ऊँचाई तक ऊपर रहे । यह तीन सप्ताह तक खाने योग्य हो जाता है। अच्छे गद्दर ग्रामों को ले कर छील डालो और उनकी फाँक बना कर गुठली निकाल दो। फिर राई एक छटाक, सौंफ १ पाव, मेथी अाध पाव, सफेद जीरा एक छटाक, स्याह जीरा डेढ़ छटाक, हल्दी श्राध पाव गोल मिर्च एक छटाक, लाल मिर्च प्राध पाव, धनियां एक छटाक, पांचवां हिस्सा, अच्छी हींग तीन माशे (घी में भून लो) इसके बाद प्रामों में डाल कर चार या पांच दिन धूप में रक्खो, फिर श्रामों से दुगुनी गुड की चासनी डाल दो। करेले-- अच्छे नरम और छोटे करेले पांच सेर ले कर उसके ऊपर के हरे नमक --
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