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अङ्क १]
[दृश्य १
हड़ताल
एडगार
मजूरों की यह सब दुर्दशा देखकर यह ज़रूरी नहीं है कि हम इस मामले को इतना बढ़ाएँ-यह...यह निर्दयता है।
[किसी की ज़बान नहीं खुलती, मानो एडगार ने कोई ऐसी चीज़ खोलकर सामने रख दी है जिसका मौजूद होना कोई भला आदमी स्वीकार नहीं कर सकता]]
वैंकलिन
[व्यंगमय हँसी के साथ]
यह तो उचित नहीं है कि हम अपनी नीति की बुनियाद दया जैसी शौक़ की बातों पर रक्खें।
एडगार
मुझे ऐसे मामलों से घृणा है।
ऐंथ्वनी
हमने तो राड़ नहीं मोल लिया था।
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