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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल
विरुद्ध जातिभेद फैलाते हैं। बेचारी ऐनी की दशा ख़राब थी-आग बुझी जाती थी। और खाने को उसके लायक कुछ न था।
[एडगार इस सिरे से उस सिरे तक टहलने लगता है]
लेकिन फिर भी रॉबर्ट का दम भर रही थी। जब हम यह सारी दुर्दशा आँखों से देखते हैं, और अनुभव करते हैं कि हम कुछ कर नहीं सकते, तो आँखें बन्द कर लेनी पड़ती हैं।
एडगार
अगर बन्द हो सकें!
एनिड
जब मैं वहाँ गई तो मैं सोलहो आना उनके पक्ष में थी। लेकिन ज्यों ही मैं वहाँ पहुँची, तो मेरे मन में कुछ और ही भाव आने लगे। लोग कहते हैं कि मजूरों पर दया करनी चाहिए। वे नहीं जानते इसे व्यवहार में लाना कितना कठिन है। मुझे तो निराशा होती है।
एडगार
शायद।
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