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निवेदन
प्रस्तुत पुस्तक में 'धर्म-समन्वय' पर मेरे कुछ
मस्तव्यस्त विचार मिलेंगे। मेरा विश्वास है, कि धार्मिक,
सामाजिक और राजनीतिक समन्वय से ही संसार सुख
और शान्ति की मधुर झलक पायगा । इस समन्वय का
आधारभूत ईश्वरवाद होगा, प्रकृतिवाद नहीं, मेरी तो कुछ
ऐसी ही धारणा है।