पृष्ठ:स्वाधीनता.djvu/२१६

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८७
पांचवां अध्याय

आधार एक ही सा है-यह नहीं है कि एक का आधार अधिक मजबूत हो और दूसरे का कम । व्यापार से , और बेचने के लिए माल तैयार करने से, सम्बन्ध रखनेवाले जितने नियम हैं उनकी गिनती प्रतिबन्धों में ही है। और जितने प्रतिबन्ध हैं साधारण तौर पर सभी बुरे हैं। यह जरूर है कि व्यापार वाले प्रतिवन्ध आदमियों के इस व्यवसाय से सम्बन्ध रखते हैं जिलका प्रतिबन्ध करना समाज का काम है। परन्तु जिस मतलब से इस तरह के प्रतिबन्ध किये जाते हैं वह मतलब ही नहीं सिद्ध होता। इसी से मैं उन्हें हानिकारक और बुरे समझता हूँ । व्यक्तिस्वातंत्र्य और व्यापार- स्वातंत्र्य में फरक है। दोनों के सिद्धान्तों में परस्पर बड़ा अन्तर है। अतएंव इल बातको मैं नहीं मानता कि जो प्रतिबन्ध व्यक्ति-स्वातंत्र्य के लिए बुरे हैं वे व्यापार-स्वातंत्र्य के लिए भी पुरे हैं। उदाहरण के लिए इन बातों का निर्णय करना एक विलकुल ही निराला विषय है कि जो लोग धोखा देने के इरादे से अच्छे और बुरे, दोनों तरह के माल को मिलाकर बेचते हैं उनके बजे से मोल लेनेवाले को बचाने के लिए समाज को कितना प्रतिबन्ध करना चाहिए: अथवा सफाई रखने के सम्बध में, या जो लोग ऐसे काम करते है जिनमें अंग-भंग होने या प्राण जाने का डर रहता है उनकी रक्षा के लिए उनले काम लेनेवालों के साथ बन्दोबस्त करने के सम्बन्ध में, कहां तक सक्ती करनी चाहिए। इन स्वतंत्रता-सम्बन्धी बातों का विचार करने में इस बात को याद रखना चाहिए कि लोगों की स्वतंत्रता का प्रतिवन्ध करने की अपेक्षा उनको अपना दाम अपनी इच्छा के अनुसार करने देना हमेशा अधिक अच्छा होता है। हां, प्रतिबन्ध करने से यदि समाज का अधिक फायदा होता हो तो तत्वदृष्टि से वैसा करना अनुचित नहीं । पर व्यापार के प्रतिबन्ध की कुछ बातें ऐसी हैं जिनसे लोगों की स्वतंत्रता में प्रतिबन्ध होता है। ऐसी बातों को बचाना चाहिए । उनका प्रतिवन्ध करना उचित नहीं । उदाहरण के लिए ऊपर बयान किया गया शराब पीने के खिलाफ कानुन, चीन को अफ़ीम भेजने की मनाई; सब तरह के जहर न बेचने का कम हे तर प्रतिबन्ध अनुचित हैं। मतलब यह कि जिस प्रतिबन्ध से किसी चीज का मिलना दुर्लभ या असम्भव हो जाय वह प्रतिवन्ध सुनासिव और लासा नहीं माना जा सकता । ये प्रतिबन्ध इस कारण अनुचित नहीं कि व्यपार के लिए हानिकारक है, किन्तु इस कारण अनुचित हैं कि