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स्वाधीनता।


यही कहते हैं कि तुम्हारे मुल्क में जो मार्सन लोग हैं उनको तुम अपने यहां की विवाहपद्धति के बन्धनों से मुक्त कर दो। उल्टा उनहोंने यह किया है कि जिस देश को उनकी बातें अच्छी न लगती थीं―जिस समाज को उनके मत पसन्द न थे―उसको उन्होंने बिलकुल ही त्याग दिया है और दुनियां के एक छोर में हजारों मील दूर जाकर, वे रहने लगे हैं। उन्हों ने जाकर एक ऐसी जगह को आवाद किया है जिसे उनके पहले और किसी आदमी के पैरों का स्पर्श न हुआ था। मार्मन-धर्म्मके अनुयायी दूसरे धर्म्म के अनुयायियों को बिलकुल नहीं सताते―उन पर कभी जुल्म नहीं करते― और जो लोग उनकी चाल ढाल को पसन्द नहीं करते उनको वे खुशी से अपना देश छोड़ कर चले जाने देते हैं। अतएव, मैं नहीं जानता, कि जुल्म के सिवा और किल तत्व के आधार पर कोई उन्हें उन नियमों के अनुसार बर्ताव करने से रोक सकता है जिनको उन्होंने खुशी से कुबूल किया है। एक आधुनिक ग्रन्थकार, जो कई विषयों में अच्छा विद्वान् है, यह सलाह देता है कि मार्मन लोग सभ्यता की अवनति के कारण हैं―सभ्यता को आगे न बढ़ाकर वे उसे पीछे ढकेल रहे हैं―अतएव एक ही साथ कई विवाहित स्त्रियां रखनेवाले इस समाज के साथ धर्म्मयुद्ध नहीं, बल्कि सभ्यतायुद्ध करके इसे जड़ से उखाड़ डालना चाहिए। एक स्त्रीके रहते दूसरी के साथ विवाह करना सभ्यता की अवनति करना जरूर है। इस बात को मैं मानता हूं। पर इस सिद्धांत को मैं नहीं मानता कि एक समाज, अर्थात् जन-समुदाय, को जबरदस्ती सभ्य बनाने का दूसरे समाज को जरा भी अधिकार है। जब तक इस बुरे नियम से तकलीफ उठानेवाले आदमी किसी दूसरे समाज से मदद नहीं मांगते, तब तक मैं इस बात को नहीं मान सकता, कि जिन लोगों का उनसे जरा भी सम्बन्ध नहीं है, और जो उनसे हजारों कोस दूर रहते हैं, वे सिर्फ इस आधार पर कि यह नियम उनको घृणित मालूम होता है, बीच में कूद पड़ें और उन बातों को, जिनसे प्रत्यक्ष सम्बन्ध रखनेवाले लोग देखने में सब प्रकार सन्तुष्ट मालूम होते हैं, बन्द करने की कोशिश करें। यदि वे चाहें―यदि उनको जरूरत पड़े―तो वे इस बुरी रीति के विरूद्ध उपदेश करने के लिए धर्म्मोपदेशक भेजें, और यदि इस रीति का चलन उनके समाज में भी हो रहा हो, तो उसे किसी उचित तरकीब से बन्द करें। पर इस तरह के बुरे रस्मो को जो लोग फैलाते हों उनके मुँह उन्हें न बन्द