यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।


तरफ से पारलियामेंट की उम्मेदवारी करो। परन्तु ऐसे झगड़े का काम मिल को पसन्द न आया। इससे उसने उम्मेदवार होने से इनकार कर दिया। तबसे उसने एकान्तवास करने और लिखने पढ़ने में अपनी बाकी उम्र बिताने का निश्चय किया। वह अविगनान नामक गाँव में जाकर रहने लगा। १८७३ में वहीं उसकी मृत्यु हुई। उसका घर पुस्तकों और अखबारों से भरा रहता था। साल में सिर्फ कुछ दिन के लिये वह अविगनान से लन्दन आता था।

जिस समय मिल की उम्र २५ वर्ष की थी उस समय टेलर नामक एक आदमी की स्त्री से उसकी जान पहचान हुई। धीरे धीरे दोनों में परस्पर स्नेह हो गया। उसकी क्रम क्रम से वृद्धि होती गई। इस कारण लोग मिल को भला बुरा भी कहने लगे। उसके पिता को भी यह बात पसन्द न आई। परन्तु प्रेम-प्रवाह में शिक्षा, दीक्षा और उपदेश कहीं ठहर सकते हैं? २० वर्ष तक यह स्नेह-सम्बन्ध अथवा मित्रभाव अखण्डित रहा। इतने में टेलर साहब की मृत्यु हो गई। यह अवसर अच्छा हाथ आया देख ये दोनों प्रेमी विवाहबन्धन में बंध गये। परंतु सिर्फ सात वर्ष तक मिल साहब को इस स्त्री के साथ का सुख मिला। इसके बाद उसका शरीर छूट गया। इस वियोग का मिल को बेहद रंज हुआ। अविगनान ही में मिल ने उसे दफन किया और जो बातें उसे अधिक पसंद थीं उन्हीं को करने में उसने अपनी बची हुई उम्रका बहुतसा भाग बिताया। मिल के साथ विवाह होने के पहले ही इस स्त्रीके एक कन्या थी। माँ के मरने पर उसने मिल की बहुत सेवा-शुश्रूषा की। उसने मिल को गृह-सम्बन्धी कोई तकलीफ नहीं होने दी।

मिलने अनेक ग्रन्थ लिखे हैं। छोटी छोटी पुस्तकें उसने कई लिखी हैं। पर उसके विशेष महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ ये हैं-- (१) अर्थशास्त्र के अनिश्चित प्रश्नों पर निबन्ध (Essays on unsettled questions in Political Economy)

(२) तर्कशास्त्र-पद्धति (System of Logic)

(३) अर्थशास्त्र (Political Economy

(४) स्वाधीनता (Liberty)

(५) पारलियामेंट के मुधार-सम्बन्धी विचार (Thoughts on Parliamentary Reform)