पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/८८

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उम्मीदवारों की बन आवेगी-और ऐसों की कमी भी नहीं होती। साधारण रीति से स्थिति इस प्रकार की होती है कि यदि चुनाव का क्षेत्र किन्हीं विशेष रीतियों से संकुचित नहीं किया जाता, तब भी कठिन और महत्त्व के कामों के योग्य जितने मनुष्यों की आवश्यकता होती है उससे कम ही मिलते हैं। सुयोग्य मनुष्यों की तो सदा कमी होती ही है, इसलिए चुनाव के क्षेत्र को किन्हीं रीतियों से संकुचित या मर्यादित किया जाय, अर्थात् जैसी योग्यता वाले मनुष्यों की आवश्यकता हो, वैसी कड़ी शर्तें रक्खी जायँ, और इस प्रकार चुनाव के योग्य मनुष्यों की संख्या छोटी कर डाली जाय-तो इस रीति का परिणाम यह होगा कि बहुत बार योग्य से योग्य मनुष्य चुनाव में न आसकेंगे, और ऐसा होने से उन मनुष्यों के द्वारा जो मनुष्य समाज का कल्याण होना था वह नहीं होगा। साथ ही अयोग्य मनुष्य जो समाज के गले पड़ने होंगे वे पड़े हींगे।

१५-आज-कल के सुधरे हुए देशों के क़ायदे-क़ानून और समाज-व्यवस्था के नियम देखने से मालूम होता है कि, किसी मनुष्य को किसी सामाजिक स्थिति में जन्म धारण करने के कारण किन्हीं विशेष अधिकारों से वञ्चित नहीं रहना पड़ता। इस नियम में एक स्त्रियाँ और दूसरे राजा, बस ये दो ही अपवाद है। राजपद के सम्बन्ध में आज भी वही तरीक़ा चला जाता है कि जो मनुष्य राजकुटुम्ब में पैदा