अपने में नहीं मिलाता था वे एक निश्चित हद तक क़ानून के अनुसार व्यापार-धन्धा नहीं कर सकते थे। और जो धन्धे या व्यापार महत्त्व के समझे जाते थे उनके विषय में महाजन जो नियम निश्चित कर देता था या उसके विषय में जो रीति चला देता था उस ही के अनुसार वह काम चलाना पड़ता था। इतिहास में ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है कि अपने कारोबार में, किसी काम के तरीक़ों को लौट-फेर करने में, या किसी नई तरकीब के खोज निकालने में लोगों को कड़ी से कड़ी जेल की सज़ा भोगनी पड़ी है। पर आज उस ही योरुप-खण्ड में, जहाँ किसी नई बात का सोचना ही अपने सिर मौत बुलाना था, तमाम बातें नई और उस ज़माने के खिलाफ मालूम
होती हैं। आज किसी देश की गवर्नमेण्ट या राजा उस बात का निश्चय नहीं करते कि कला-कौशल के काम को किस जाति वाले करें, किस ढंग से करें और कौनसी पद्धति का अनुसरण करें। आज प्रत्येक व्यक्ति इस बात के लिए स्वाधीन है कि वह अपने आपको जिस काम के योग्य समझे वह प्रसन्नता से करे। इङ्गलैण्ड में पहले क़ानून था कि कारीगरी के काम करने वालों को एक नियत समय तक अनुभवी कारीगर के पास उम्मीदवारी करनी पड़ेगी, पर यह कानून अब रद कर दिया गया; इसका कारण यह है कि अब लोगों की समझ होगई है कि यदि किसी को अपना काम चलाने के लिए अनुभव और शिक्षा लेने की आवश्यकता ही होगी
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