पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/६८

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कुदरत से काले रंग वाले आदमी गोरों की ग़ुलामी के लिए ही पैदा हुए हैं; काले लोगों पर गोरों का स्वामित्व रहना स्वाभाविक है*[१]। काले लोग प्रकृति से ही स्वतन्त्रता के योग्य नहीं है, और उन्हें गोरों के दास बन कर रहना लाभदायक है, प्रकृति ने अपनी सृष्टि के लिये यही व्यवस्था की है, इन बातों को सिद्ध करने के लिए क्या उन्होंने कोई कसर उठा रक्खी थी? उन्हीं लोगों में ज़ोर के साथ इस बात को कहने वाले आदमी भी थे कि, दुनिया के जिस हिस्से में तुम्हें यह नज़र पड़ जाय कि हाथ से काम करने वाले मज़दूर आज़ाद है तो वहीं कुदरत के ख़िलाफ़ समझ लो।

इस ही प्रकार एकसत्ताक राज्यतन्त्र के पक्षपाती सदा से यह प्रतिपादित करते आये हैं कि अनेक प्रकार की राज्य-प्रणालियों में अकेली यही प्रणाली स्वाभाविक है; इसका कारण यह है कि यह पद्धति अत्यन्त प्राचीनकाल से चले हुए कुटुम्ब-शासन के नमूने पर स्थापन हुई है और समाज की व्यवस्था बनी रखनेके लिये यह अत्यावश्यक और उपयोगी है। एक कुटुम्ब में जो स्थान पिता का है वही राज्य में राजा का है। इसके साथ ही यह बात भी है कि जिन्हें दूसरों को


  1. * इस अवसर पर हमारे देश में "एल्बर्ट बिल" को पास करते समय अँगरेज़ों ने जो अधाधुन्ध मचा दी थी उसका स्मरण हुए बिना नहीं रहता। साथ ही हमारा यह सिद्धान्त भी अभी-अभी ढीला पड़ा है कि शूद्र लोग उच्चवर्ण वालों की दासता के लिए ही पैदा हुए हैं।