है। स्त्रियों को अपनी आधीनता में रखने का लोभ केवल एक ही मनुष्य या एक ही देश वालों को नहीं होता बल्कि सम्पूर्ण पुरुष-समाज स्त्री-समाज को अपने अधिकार में रखना चाहता है। स्त्रियों को अपनी आधीनता में रखना, यह एक ही प्रकार का लोभ है, और केवल इस ही के लिए पुरुष इस सत्ता को दृढ़ता से अपने अधिकार में नहीं रक्खे हुए हैं। जैसे बड़े-बड़े राज्यों में राजकीय पक्ष सिद्ध करने के लिए बहुत कुछ प्रकार घटा करता है, किन्तु जिस प्रकार उससे कुछ नेताओं और मुखियों का ही लाभ होता है और बाक़ी के लिए वह काण्ड किसी मतलब का नहीं होता, इस विषय में वह प्रकार भी नहीं होता। किन्तु एक कुटुम्ब का नेता, और फिर वह चाहे कहीं का नेता होना चाहता हो,-ऐसे प्रत्येक मनुष्य को अधिकार प्राप्त करने की हौंस होती है और इसमें उसका निजू स्वार्थ मिला होता है। कोई राजा हो चाहे रंक और भिखारी हो चाहे उमराव उसकी इच्छा इस प्रकार की होती ही है। संसार में अधिकार ऐसी लुभाने-वाली चीज़ है कि उसके प्राप्त करने और उसका उपभोग करने की प्रत्येक की इच्छा होती है। यद्यपि सत्ता का लोभ प्रत्येक मनुष्य को होता है, किन्तु जिनके साथ उसका निकट से निकट सम्बन्ध होता है, जिनके साथ उसे अपना सम्पूर्ण जीवन बिताना पड़ता है, यदि वे मनुष्य उसकी आधीनता में न रह कर स्वाधीनता से बरतें तो उसके निजू हित और
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