पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/६०

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पकड़ कर ग़ुलामी का बाज़ार आबाद रखते थे। ऐसी स्थिति होने पर भी साधारण लोगों का उनसे विशेष सम्पर्क न रहने के कारण लोकमत उनके विरुद्ध था। ख़ास करके इङ्गलैण्ड में ग़ुलामी के व्यापार को पसन्द करने वालों की तादाद बहुत ही कम थी; क्योंकि यह तो प्रकट ही था कि गुलामों के व्यापार का उद्देश्य धन कमाना था और जिन लोगों को इस प्रथा के प्रचलित रहने में लाभ था उनकी संख्या देश के लोगों से बहुत ही कम थी, तथा जिनका इससे किसी प्रकार सम्पर्क न था वे इसे तिरस्कार की दृष्टि से ही देखते थे। मैं समझता हूँ कि यह सब से अधम दृष्टान्त सब के समाधान के लिए काफ़ी होगा। किन्तु यदि और भी किसी उदाहरण की आवश्यकता हो तो एकसत्ताक राज्यतन्त्र की ख़ूबियाँ देखिए। समग्र देश भर की प्रजा पर बिना किसी रोक-टोक और क़ायदे-क़ानून के एक मनुष्य जो मनचाही हुकूमत करे उस ही का नाम एकसत्ताक राज्यतन्त्र है; यह एकसत्ताक राज्यतन्त्र संसार में कितने लम्बे अर्से तक टिका रहा! इस समय इङ्गग्लैण्ड ही नहीं बल्कि सब देशों का विश्वास हो चुका है कि फौज की मदद से एक आदमी जो लाखों-करोड़ों आदमियों पर राज्य भोगता है, वह "लाठी उसकी भैंस" के नियम का दूसरा प्रकार है। इसके अलावा एकसत्ताक राज्य-पद्धति की कोई उत्पत्ति हो ही नहीं सकती। इतना होने पर भी कुछ देशों को छोड़ कर प्रायः सब कहीं आज भी बड़े-