समय भी स्त्रियों के लिए जो थोड़े बहुत इज्जत-आबरू के काम
रक्खे गये हैं और बहुत सी स्त्रियां उन्हीं के द्वारा अपना उदर-
निर्वाह करके अविवाहित रहती है) इस कारण जिनकी युवावस्था का सम्पूर्ण समय योग्यता प्राप्त करने में बीत गया होगा और जिन्होंने उस उच्च योग्यता का पूर्ण अभ्यास कर लिया होगा; या ऐसे अधिकारों के लिए अधिकांश चालीस या पचास वर्ष की वय वाली अधेड़ विधवाएँ या पत्नियाँ पसन्द की जायेंगी; क्योंकि कौटुबिक सञ्चालन के कारण उन्हें व्यवहार-दसता का पूर्ण ज्ञान हो जायगा––योग्य अनुभव, उत्तम शिक्षा पौर योग्यता से वे सार्वजनिक कामों को भली भांति सम्पादन कर सकेंगी। बहुत से देशों के हजारों उदाहरण हमारे सुनने में आये हैं, जिन में राज्य के बड़े-बड़े अधिकारियों को उनकी स्त्रियों ने बड़े-बडे मार्के के मौकों पर सलाह दी है और उसके अनुसार काम करके वे कृत कार्य हो गये हैं। और सामाजिक तथा राजकीय बहुत सी बातों में तो पुरुष भी स्त्रियों का मुक़ाबिला नहीं कर सकते; व्यवहार में स्त्री जितनी निपुण होती है पुरुष उतना नहीं होता। उदाहरण के तौर पर, तमाम घरेलू कामों को तफमील रखनी और उनका हिसाब यथास्थान अपने ख़याल में रखना, आदि––स्त्रियाँ बहुत योग्यता से कर सकती हैं।
किन्तु इस समय हम जिस विषय का विचार कर रहे हैं उसका विषय यह नहीं है कि सार्वजनिक कामों में स्त्रियों से