किन्तु उसका पति केवल मन की एक तरङ्ग या दूसरे शब्दों में कहें तो संसार जिन्हें केवल अपने विचार पसन्द करने वाला कहता है, उनकी उसी मनस्वी तरङ्ग में उसकी वह कमाई भी डूब जाती है। सारांश यह है कि––प्रचलित विचारों से आगे बढ़ने वाले को लोग उद्धत कहते हैं; ऐसे विचारों वाला पुरुष लोगों के मन से उतरता जाता है और उसके साथ ही उसकी स्त्री भी अपने विषय का अच्छा ख़याल खो बैठती है; इसलिए यदि अपने लिए नहीं तो अपनी स्त्री के लिए ही लोग सुधार के मार्ग से पीछे हट आते हैं। बहुत से शुद्ध और पवित्र हृदय वाले पुरुष ऐसे अवसरों पर बहुत ही संकुचित हो जाते हैं। क्योंकि उनका बुद्धिबल इतनी उच्चकोटि का तो होता नहीं कि उदार और उदात्त विचार वालों में वे ऊँचा स्थान प्राप्त करलें या प्रतिष्ठा के पात्र समझे जायँ, किन्तु वे अपने विचार अपने मन के सच्चे विश्वास पर बनाते हैं, और वे हृदय से चाहते हैं कि अपना आचरण अपने विचारों के अनुसार ही हो, बल्कि जो विचार उनके होते है उन्हें प्रकट करके उनके मण्डन और प्रसार के लिए जो कुछ भी करना पड़े करने को तैयार रहते हैं। फिर चाहे उन्हें अपना सम्पूर्ण समय ही लगाना पड़े, सब शक्ति और सम्पत्ति लगा देनी पड़े या अपने सब स्वार्थों की बलि देनी पड़े। किन्तु इस श्रेणी वाले मनुष्यों की भी स्थिति और ख़ास करके सामाजिक दरजे में प्रतिष्ठित लोगों के भीतर जो
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