२६-नीति में स्त्रियों की विशेष भन्नमनसाहत का बखान पुरुष करते अवश्य हैं; किन्तु दूसरी ओर वे यह भी कहते हैं कि, उनके स्वभाव में एक तरफ़ झुकने की आदत विशेष होती है। लोगों का कहना है कि, स्त्रियाँ अपनी पक्षपात वाली आदत नहीं छोड़ सकतीं। वे राग, द्वेष, ममता और तिरस्कार आदि मनोविकारों के वश झट हो जाती हैं, इसलिए विवेक निश्चित नहीं हो सकता: थोड़ी देर के लिए यदि हम इसे सच मान लें, तो पुरुष जितनी बार अपने स्वार्थसाधन के लिए पक्षपात करते हैं या उल्टा रास्ता पकड़ते है, उनकी अपेक्षा अधिक बार स्त्रियाँ अपने मनोविकारों के वश होकर पक्षपात करती हैं—यह सिद्ध करना अभी बाकी है। यदि यह बात सिद्ध हो जाय, तो इससे यह साबित होगा कि स्त्री-पुरुष के व्यवहार में इतना ही भेद है कि पुरुष जिस दशा में अपने निजू स्वार्थ के लिए कर्त्तव्यभ्रष्ट या समाजहित से पराङ्मुख होता है, उस दशा में स्त्रियाँ दूसरों के लाभ के लिए कर्त्तव्यभ्रष्ट होती हैं। क्योंकि जिसे केवल उनका निजू कह सकें ऐसा कुछ भी समाज ने उनके लिए नहीं रक्खा। फिर यह बात भी ध्यान में रखने योग्य है कि, समाज की ओर से स्त्रियों को जो शिक्षा दी जाती है, वह हृदय में घुस कर ऐसा परिणाम पैदा करती है कि संसार में हमें यदि कन्हीं अन्य प्राणियों के प्रति अपना कर्त्तव्य पूरा करना है तो वह केवल अपना ही कुटुम्ब है-अर्थात् कुटुम्ब के लाभ को
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