होती हैं कि वे रात-दिन जिन के साथ रहती हैं उन पर उनका अधिकार हो-वे उनके प्रभाव को मानें। उनकी इच्छा इस छोटे से वृत्त में घिरी रहती है कि जो मनुष्य उनकी आँखों के आगे घूमते-फिरते हैं, वे उनका आदर करें, सम्मान देवें और प्रशंसा करें। और इस उद्देश की प्राप्ति के योग्य जितनी होशियारी, जितना कला-कौशल और जितनी बुद्धि की आवश्यकता होती है वह सब प्राप्त होजाने पर वे
सन्तोष कर लेती हैं। स्त्रियों की स्थिति के विषय में अपनी सम्मति देते समय उनके स्वभाव के इस विशेष लक्षण को अवश्य गिनना चाहिये; किन्तु यह न समझना चाहिए कि यह स्त्री-स्वभाव का प्रकृतिसिद्ध अङ्ग है; बल्कि जिन संयोगों में स्त्रियाँ हैं उसका यह एक स्वाभाविक परिणाम है। पुरुषों
में जो नाम अमर करने की इच्छा होती है उसे शिक्षा और लोकाचार के द्वारा विशेष उत्तेजना मिलती है। कहा जाता है कि नाम अमर करने की इच्छा अर्थात् कीर्त्ति का लोभ मन की निर्ब्बलता का एक लक्षण है, फिर भी सब सुखों से उदासीन बन कर और विषय-सुख को तुच्छ समझ कर केवल कीर्त्ति के लिए निरन्तर, अविश्रान्त परिश्रम करना, ऊँचे स्वभाव का एक अङ्ग है। तथा कीर्त्तिमान् पुरुष के लिए महत्त्वाकाङ्क्षा के सब दरवाज़े खुल जाते हैं, इसलिए कीर्त्ति के प्रेम को उत्तेजना मिलती है। ऐसा कीर्त्ति-सम्पन्न मनुष्य स्त्रियों का भी अनुग्रह प्राप्त कर सकता है। किन्तु स्त्रियों के
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