पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२२२

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बाहरी कारणों का असर ही न होता, तो उसका मूल स्वभाव कैसा होता-इसे निश्चय करने के लिए स्थितियों से मनुष्य भिन्न नहीं किया जा सकता-हमारे लिए यह असम्भव है। किन्तु हम इसका निश्चय कर सकते हैं कि इस समय मनुष्य की जो स्थिति है वह कैसे संयोगों से होकर आई है, और उन संयोगों का परिणाम यही स्थिति हो सकती है या नहीं।

१६-तो सब से पहले स्त्रियाँ पुरुषों से शारीरिक बल में कम होती हैं, पर इस शारीरिक कमी के विचार को अभी हम छोड़ते हैं, और प्रकट में स्त्रियाँ पुरुषों से जिस बात में कम दीखती हैं उसे ही उठाते हैं। तत्त्वज्ञान, विज्ञानशास्त्र और कला,-इन तीनों विषयों में ऐसी कोई स्त्री आजतक नहीं हुई जिसे हम ऊँचा स्थान दे सकें। अब हमें इस बात की परीक्षा करनी है कि स्त्रियाँ इस बात में सर्वथा अयोग्य हैं-यह बिना माने भी कमी पूरी हो सकती है या नहीं।

१७-सब से पहले यदि मैं यह कहना चाहूँ कि, विषय में जितने प्रमाण हमारे अनुभव में आये हैं, वे किसी सिद्धान्त के निश्चित कर लेने योग्य नहीं हैं तो यह अनुचित न होगा। यदि ऐसे उदाहरणों की खोज करें कि जिन में तत्त्वज्ञान, शास्त्र और कला आदि में स्त्रियों ने कुछ ज्ञान प्राप्त किया हो-तो यह अधिक से अधिक तीन पीढ़ियों तक हो सकता है। यदि इन विषयों की ओर स्त्रियों का ध्यान गया

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