थे। पर उन्हें जैसी राष्ट्रीय शिक्षा मिलती थी, उसके अनु- सार सौम्य प्रकृति वाले न बन कर वे स्पार्टन लोगों के समान कड़े थे, इसलिए उनके राजनैतिक गुण भिन्न प्रकार के ही बन गये थे। उनकी स्वाभाविक तीव्रता को पीछे से शिक्षा के संयोग के कारण जो मार्ग मिला था, उससे उनका वास्तविक स्वभाव मालूम होता था। आवेश वाली प्रकृति के लोगों को कैसा बनाया जा सकता है, यह ऊपर वाले उदाहरण से अधिक स्पष्ट होता है; किन्तु इस प्रकृति वालों को यदि किसी प्रकार का भुकाव न दिया जाय तो वे कैसे रहें इसका उदाहरण आयरिश और केल्ट लोगों से समझा जा सकता है। (किन्तु ये लोग भी अपनी मूल स्थिति में रहे हैं या नहीं, इस में भी सन्देह है। क्योंकि हज़ारों वर्ष के दुष्ट राज-व्यवहार के परोक्ष असर के कारण, तथा कैथोलिक सम्प्रदाय की विशेष श्रद्धा और उसके धर्मोपदेशकों के असर के कारण,उनकी वास्तविक प्रकृति में लौट-फेर न हुआ हो, यह हो नहीं सकता।) इसलिए आयरिश लोगों का उदाहरण योग्य न समझना चाहिए। फिर भी म ख़ास-खास व्यक्तियों ने अनुकूल अवसरों पर अपने जैसे उच्च विचार प्रकट किये है, वैसे विचार क्या और भी किसी प्रजा ने व्यक्त किये है। फेच्च लोगों की तुलना अँगरेजों के साथ की जाय, आयरिश लोगों को स्विस लोगों से की जाय, यूनानी और इटालियन लोगों की जर्मन लोगों से की जाय तो मालूम होगा कि दोनों समान रीति
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