पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१९१

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उन स्थानों पर उस परिमाण में उनकी योग्यता सिद्ध हुई है।

८-स्त्रियों की वास्तविक मनोवृत्तियों और उनकी विशेष बुद्धि के सम्बन्ध में संसार को जो कुछ थोड़ा बहुत और अधूरा अनुभव प्राप्त हुआ है, और उनके विषय में इतनी सी सामग्री से जो कुछ अनुमान बाँधा जा सकता है-वह ऊपर वाले सिद्धान्त से मिलता-जुलता होता है। पर साथ ही इस बात को भी याद रखना चाहिए कि, यह अनुमान उस ही स्थिति के लिए लागू है जो आज तक दिखाई दी है। मैं यह नहीं कहना चाहता कि, स्त्रियाँ पीछे भी अपनी यही दशा बनाये रहेंगी। क्योंकि मैं ऊपर इस बात को अनेक बार जता चुका हूँ कि स्त्रियों का स्वभाविक धर्म या विशेष गुण क्या है और क्या नहीं,-या यह निश्चय कर देना कि पीछे से स्त्रियों का धर्म अमुक होगा और अमुक नहीं-यह बड़े साहस या मूर्खता का काम है। उनके स्वाभाविक विकाश, अर्थात् उनकी मानसिक और अन्य शक्तियों को इतनी कृत्रिमता का रूप दिया गया है कि उनका प्रकृत धर्म बदले बिना न रहा होगा, और बहुत से तो बदल ही गये होंगे-यह निश्चित है। स्त्रियों का स्वाभाविक विकाश यदि पुरुषों के समान स्वाधीनता से होने दिया गया होता, और मनुष्य-जीवन के लिए जिस हद तक स्त्री-पुरुष के स्वाभाविक विकाश को कृत्रिम बनाने की आवश्यकता है, उस से ज़रा भी