उस अन्याय को अस्तित्त्व में रखना योग्य है; बल्कि इससे यही सिद्ध होता है कि प्रचलित रूढ़ि चाहे जितनी ख़राब और नीच हो, फिर भी मनुष्य-स्वभाव में ऐसी विलक्षण शक्ति होती है कि उसको टक्कर खाते हुए भी अपनी सुजनता प्रकट करती ही है। कुटुम्ब-व्यवस्था में एक आदमी के हाथ अनियन्त्रित सत्ता के सौंपने में और राज-व्यवस्था में एक आदमी के हाथ अनियन्त्रित सत्ता के सौंपने में कुछ भी अन्तर नहीं होता; एक पद्धति ने खण्डन या मण्डन में जो दलीलें काम में लाई जा सकती हैं, वे ही दूसरी पद्धति के खण्डन या मण्डन में भी लाई जा सकती हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि अपने महल की खिड़की में बैठा हुआ राजा अपने ज़ुल्म से लम्बी आहें भरती हुई प्रजा को आनन्द से देखे, इस ही प्रकार प्रत्येक राजा यह भी नहीं करता कि कड़ाके की सरदी में अपनी दीन प्रजा के अङ्गों के चीथड़े उतार कर उन्हें थरथराते और मरते देखता रहे; पर ऐसा न होने पर भी क्या यह कहा जा सकता है कि सब प्रकार की राजपद्धतियों से एकसत्ताक राज्यतन्त्र अच्छा है? फ्रान्स के सोलहवें लुई का राज्य फिलिप, लीवेल, नादिरशाह और कालीगुला आदि इतिहासप्रसिद्ध घोर अत्याचारी राजाओं के समान नहीं था, फिर भी उसने जो कुछ अत्याचार किया था वह उसकी प्रजा को राज्यक्रान्ति कर देने के लिए काफी था, और उस राज्यक्रान्ति में जितने भयङ्कर और निन्द्य काम कर डाले गये वे सब राजकीय अत्याचार के सामने फीके थे।
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