पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/११७

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थोड़ी बहुत स्वाधीन पूँजी होती थी, और अपनी इच्छा के अनुसार उसका प्रबन्ध करने का उसे अधिकार होता था, इस धन पर उसके स्वामी या और किसी का कोई अधिकार नहीं पहुँचता था। इस देश (इँग्लैण्ड) में भी भूस्वामी-वर्ग कानून को रद करके रोमन लोगों के अनुसार अपनी स्त्रियों को विशेष ख़र्च के लिए कुछ देते हैं, जिसे स्त्रीधन (piu-money) कहते हैं। लड़की के पिताका प्रेम स्वाभाविक रीति से दामाद की अपेक्षा लड़की पर अधिक होता है, यह एक स्वाभाविक नियम है, क्योंकि चाहे जो हो पर फिर भी दामाद पराया ही है। इसलिए बहुत से धनी अपने धन की व्यवस्था कर जाते हैं कि उनकी बेटी को जो सम्पत्ति उनकी वसीयत से मिलेगी उसका तमाम या थोड़ा सा भाग भी दामाद के हाथ न पड़े- अर्थात् विवाहित होने पर भी लड़की ही उसकी अधिकारिणी बनी रहे। पर इस प्रकार की व्यवस्था से भी यह बात तो पैदा नहीं की जा सकती कि उस सम्पत्ति पर उस लड़की का ही पूरा स्वत्व बना रहे, यह कैसे हो सकता है। जियादा जियादा यही किया जा सकता है कि उसके ख़ाविंद को उस सम्पत्ति के बर्बाद करने का हक़ न हो, पर वह उसके मालिक यानी स्त्री से भी पूरी उपभोग में नहीं लाई जा सकती। अर्थात् प्रत्यक्ष सम्पत्ति तो और किसी के अधिकार में नहीं आ सकती; और उसकी पैदाइश के बारे में भी यदि कोई पिता अपनी पुत्री का अधिक से अधिक हित करे तो यह हो