सकतीं, इसलिए उनका यह कर्त्तव्य बनाना जरूरी है।" यदि यह बात साफ़ कह दी जाय तो इसके गुण-दोष पर विचार करना और भी अधिक सरल हो जाय। गुलामी का प्रतिपादन करने वाले साउथ कैरोलीना और ल्युज़ियाना (Sonth Carolinn and Louisiana) प्रान्त वाले ग़ुलामों के मालिक भी इस ही प्रकार के सिद्धान्त का प्रतिपादन करते थे। वे कहते थे कि,-"कपास और गन्ने की खेती के बिना काम नहीं चल सकता। और गोरे मनुष्य उसका काम कर नहीं सकते। यदि हबशी (निग्रो) आज़ाद कर दिये जायँगे तो फिर उन्हें चाहे जितना वेतन दिया जाय वे ऐसा काम न करेंगे। इसलिए उन्हें पराधीन रख कर दबाव से
कास लेना ही उत्तम है।" ज़ोर-ज़ुल्म (Impressment) से जहाज़ के ख़लासी बनाने के विषय में भी यही
कहा जाता था कि,-"देश की रक्षा के लिए लड़ाके जहाजों पर काम करने के लिए ख़लासियों का होना जरूरी है। विशेष करके ऐसे प्रसंग आते हैं जब लोग राज़ी से ख़लासीगीरी करना पसन्द नहीं करते। इसलिए उन्हें ज़ोर-जु़ुल्म से इस में दाखिल करना चाहिए।" इस तर्क का उपयोग लोग व्यवहार में कितना अधिक करते हैं। यदि इस तर्क में एक छिद्र न रहा होता तो आज-कल भी इसका उपयोग मजे में किया जाता; इस सिद्धान्त की भूल इस प्रकार प्रकट होती है कि,-"ख़लासियों के परिश्रम के अनु-
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