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था। वह स्वयं नहीं जानता था कि उसको अमुक रात्रि कहां व्यतीत करनी होगी ? यदि दन की भाशा होती तो उसे महीनों गायब रहना पड़ता था। अन्त में जब स्टालिन को निर्वासित कर दिया गया तो उसको बहुत समय तक अपने पति के सम्बन्ध में कोई समाचार तक नहीं मिला। इस प्रकार वह अनेक प्रकार के कष्टों को झेलती हुई समय से पूर्व ही इस संसार से विदा हो गई। स्टालिन को वहीं पर उसकी मृत्यु का पता लगा। वह एक संक्षिप्त वार था जिसे बारकालीन शासकों ने निर्वासित पति तक पहुँचने दिया था। जिस क्रांतिकारी का जीवन उस खरगोश की भांति व्यतीत होता हो जिसके पीछे हर समय विपक्षी कुत्ते लगे हों, उसके व्यक्तिगत जीवन का वृत्तान्त क्या हो सकता है? इस बात का पता नहीं चलता कि पत्नी को मृत्यु से उसके हृदय पर कैसा प्रभाव पड़ा, क्यों कि उसने अपन भाव कभी प्रगट नहीं किये। सम्भवतः इस नए दुःख से वह मृतप्राय होगया होगा, क्योंकि अपने निर्वासित जीवन के कारण वह पहले ही हवसाइस हो चुका था। सौभाग्यवश इसके थोड़े समय पश्चात् ही १९१७ को क्रांति का आगमन हुआ और स्टालिन स्वाधीन होगया। अब बह सीधा सेट पीटसे वर्ग पहुँचा। इन ऐतिहासिक दिनों में उसके जीवन में एक नए अध्याय का भारम्भ हुमा। सेंट पीटर्स वर्ग पहुँच कर वह पार्टी के एक हितैषी सदस्य कारीगर भलिवलियो के यहां रहने लगा। जिस समय महान क्रान्ति की ऐतिहासिक घटनाएं हो रही थी और उसके पश्चात् जब अक्तूबर की विजय ने इस पार्टी को प्रभावशाली बनाने में सहायता दी तो वह इसी मकान में रहा । वह प्रातः काल बाहर निकल जाता और बढ़ी रात गए वापिस पाता था।