इक्कान] उठाने पर ही बस नहीं करते, अपितु मातंकवाद का मी भाभय लेने लगे हैं। स्टालिन ने कैरोक के बघ के अपराधियों से भयानक रीति से बदला लेना प्रारम्भ किया। इस सम्बन्ध में सैंकड़ों भादमी पकड़े गये। जिस व्यक्ति पर तनिक भी सन्देह होता उसे ही कैरोक के बध में सम्मिलित होने के अभियोग में कैद कर लिया जाता । विरोधी पक्ष के कुछ अप्रसिद्ध भ्यक्तियों को इस सम्बन्ध में प्राण-दण्ड भी दिया गया। यह कत्ले आम इतना बढ़ा कि साधारण जनता में रोष फैल गया। कैरोफ के कातिल कहे जाने वाले निरन्तर ३ वर्ष तक मृत्यु मुख में पहुँचाए जाते रहे। फिर भी यह बदला पूरा न हुआ। यहां तक कि मृतकों की सूची देखने से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस समय स्टालिन के अतिरिक्त लेनिन के समाकालीन कार्यकर्ताओं में केवल दो या तीन व्यक्ति ही जीवित बचे हुये हैं । इस भयानक कत्ले बाम का संक्षिप्त वर्णन नीचे दिया जाता है। स्टालिन ने पोस्ट ब्यूरो के कर्मचारियों में से सर्व प्रथम ट्रॉट्स्की को सन् १९२५ में काकेशस में नजरबन्द करवाया। इसके पश्चात् सन् १९२७ में उसको रूस से निकलवा कर टर्की को निर्वासित किया गया। सन् १९२६ में कामानेक (मंत्रियों को परिषद् के भूतपूर्व प्रधान) और जीनोवी (जिसे सेंट पीटसे बर्ग में कोमिटर्न का प्रधान-पद प्राप्त हुआ था) को सर्व प्रथम निर्वासित किया गया। इसके पश्चात् भगस्त १९३६ में इन दोनों को मरवा दिया गया। परावना पत्र के प्रधान सम्पादक और कोमिंटन की व्यवस्थापिका कमेटी के सदस्य नजारन को १६३६ ई० में पोस्ट न्यूरो से प्रथा किया गया। मार्च १९३८ उसे और कामानेफ के स्थानापन्न राई कोबोनो को मरवा दिया गया। ट्रेड युनियन कौसिन के
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