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भन्नासी] [ *** सोवियट रूस नाम रक्खा। इस कमेटी के सदस्यलेनिन, ट्रॉट्स्की, स्टालिन, बोबोनोफ, कामानेफ और जीनोवीफ थे। इन्हीं ६ व्यक्तियों ने अक्तूबर को कान्ति को सफल बनाया। २५ अक्तूर को गृह-युद्ध का प्रारम्भ हुमा और ७ नवम्बर को कैरनस्की के शासन का अन्त हो गया। इस पर भी गृह-युद्ध की अग्नि लम्बे समय तक देश के कोने २ में सुलगती रही। सब प्रकार से निराश होने पर कैरनस्की ने सन्धि के लिये प्रार्थना की, परन्तु लेनिन का उत्तर संक्षिप्त और निर्णयात्मक था। उसने स्पष्ट कह दिया था कि सन्धि तभी हो सकती है कि दूसरा दल बिना शते आधीनता स्वीकार करे और कैरनस्की के साथ हम जैसा भी चाहें सलूक करे। जब कैरनस्की ने देखा कि शासन- नैय्या मंझधार में डूबा चाहती है, तो उसने अपनी सुरक्षता का विचार किया और शासन की चिन्ता छोड़ कर भाग निकला। रेल के प्लेटफार्म पर लडद शरीर का एक बौना सा व्यक्ति- जिसके शिर के बाल उड़े हुए और आंखें प्रकाशमान थी- विचित्र अवस्था में खड़ा हुआ था। उसको कईसप्ताह से वस्त्र बद- लने तक का अवसर न मिल पाया था।अत: उसके वस्त्रों पर सैकड़ों सिकुड़न और दाग धब्बे लगे हुए थे। यह व्यक्ति नवीन क्रांति का पथ-पर्दशक लेनिन था । कैरनस्की के भागने की खबर पाते ही उसने जोर से मेज़ पर हाथ दे मारा और कहा “मेरे सच्चे मित्रो! क्रांति की विजय हो गई। पुराने शासन का अन्त हो चुका। अब रूस के इतिहास में एक नये अध्याय का प्रारम्भ होता है।" इस स्मरणीय अवसर पर दो व्यक्ति और भी उसके बराबर खड़े हुए थे। वह थे स्टालिन और ट्रॉदूस्की। तीनों मित्रों ने रूस की प्राचीन पद्धति के अनुसार हर्ष प्रगट करते हुए परस्पर गले मिल कर एक दूसरे का मुख चूमा ।