[चाहत्तर मैंने युद्ध बन्द किया तो कोई यह न कहेगा कि चार वर्ष से निरन्तर चलते हुए कत्ले-श्राम को बन्द करने के लिये ऐसा किया है, अपितु यह समझा जावेगा कि जर्मनों के वास्ते मेने ऐसा किया है। अत: यदि जर्मनों ने मुझे गुजरने का मौका दे दिया वो मेरे लिये लोगों की उस आवाज को दबाना कठिन हो जावेगा कि मैं जर्मनों के उद्देश ही रूसी प्रजा के समक्ष रहने को रूस आया हूँ। यदि मैं एक बार यह काम कर बैठा तो मेरे लिये प्रजा द्वारा किये जाने वाले आक्षेपों का समाधान करना कठिन हो जायेगा और भविष्य में जो कुछ भी मैं करूंगा, उसमें मेरी सद्-भाव- नाओं को भी उचित रूप में न देखा जावेगा। लेकिन इसके बाद फिर वही प्रश्न उठता था कि आखिर रूस के अन्दर पहुंचने का क्या उपाय हो सकता है। यह वह समय था जब संसार के इतिहास में एक विचित्र सम्मेलन का अधिवेशन प्रारम्भ हुआ। वाम पक्ष की प्रबल कान्तिकारी श्रेणि-जिसका प्रचार कार्य एक साधारण से अप्रसिद्ध रूसी पत्र पर निर्भर था के प्रतिनिधि जमेनी के शाही खान्दान होहेनजोलन के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर विचार-विनिमय करने के लिये बैठे इस विचार-विनिमय का उद्देश्य था कि लेनिन और उसके साथी किस मार्ग से सफर करके रूस में प्रविष्ट हो। यद्यपि इस योजना का प्रगट उद्देश यही था तथापि इस बात को प्रत्येक व्यक्ति जानता था कि यह लोग गुप्त रूप से रूस के भविष्य के सम्बंध में वार्तालाप कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में सब से प्रथम वार्तालाप जिन व्यक्तियों में हुआ उनमें एक तो स्वीअलैंड का जर्मन राजदूत रोमबगे और दूसरा लेनिन के-दन के सम्पादन-विभाग का एक कर्मचारी कार्ल रेडिक था। रोमबर्ग ने इस वार्वालाप के प्रारम्भ की सूचना शीघ्र
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