- [बासठ कान में लेनिन विदेशों में रहता था और स्टालिन उत्तरी ध्रुव के निकट निर्वासिव-जीवन व्यतीत कर रहा था। अतः युद्ध के दिनों में मानीनोस्को पार्टी के सारे काम सुन्दर ढंग से चलाता रहा । अब की बार क्रान्तिकारी श्रेणि विजयी हुई और रूस स्वतंत्र हो गया। कैरनस्की ने शासन की बागडोर अपने हाथों में ले ली। लेनिन बाहर बैठा रूस वापस पाने के लिये महान् प्रयत्न कर रहा था। शासन-सचा अस्थायो वौर पर कैरनस्को के हाथ में थो। किन्तु यह स्पष्ट था कि लेनिन की कार्यशील और क्रान्तिकारी पाटी निकट भविष्य में ही महत्वपूर्ण स्थिति प्राप्त करेगी। राज. नीति विज्ञान का गहरा अध्ययन करने वाला प्रत्येक व्यक्ति बढ़ी सरलता से कह सकता था कि यदि लेनिन की पार्टी का प्रभुत्व हुआ वो भावी रूस के राष्ट्र निर्माण में जो व्यक्ति प्रमुख भाग लेंगे वह इस पार्टी के प्रतिष्ठित मेम्बर लेनिन, स्टालिन और ट्रॉट्स्की ही होंगे। एक चौथा नाम मालीनास्की का भी उनके साथ लिया जाता था-वही व्यक्ति जिसके विषय में लेनिन ने बड़ी भाशा भरी भविष्यवाणी की थी। लेकिन.. क्रान्ति की समाप्ति पर रूस की खुफ़िया पुलिस के सभी कागज-पत्र क्रान्तिकारी श्रेणि के हस्तगत हुए। जब उन पत्रों को देखा गया तो बढ़ी आश्चर्यजनक बात मालूम हुई । एक ऐसी मिसल निकली, जिस पर मानीनोस्को का नाम निम्न प्रकार भक्ति था। "रोमान मालोनोस्की नं० १३२४ जो सन् १९१० से रूस की खुफिया पुलिस में काम करता है। "इस फाइल से ज्ञात हुमा कि प्रारम्भ में उसको गुप्तचर विभाग की ओर से दस रुबेन मासिक वेवन मिलता था। किन्तु उसकी योग्यता और विश्वा- . .
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