- [साल था जो कठिनाइयों से घबरा उठता। लेनिन के नये भादेश प्राप्त करने के उद्देश से वह कुछ दिन कराको रहा। इसके पश्चात् वह फिर सेट पीटर्सबर्ग जा पहुँचा। अब उसको पार्टी का जो कार्य सौंपा गया, उसके लिये अधिक राजनैतिक योग्यता की आवश्यक्ता थी। उन लोगों ने निश्चय किया कि रूसी पार्लियामेन्ट (डूमा) के निर्वाचन में भाग लिया जावे । अतः यह दल अगले निर्वाचन में सोलह सीटे प्राप्त करने में सफल हो गया। लेनिन ने स्टालिन को पार्टी की पार्लमेन्टरी समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। इस पालेमेंटरी समिति में अत्यन्त कड़ा अनुशासन था । पार्टी के जितने सदस्य डूमा में निर्वाचित हुए, उन सब का कर्तव्य था कि वह अपनी वक्तृताएं पहले स्टालिन को दिखला लिया करें अथवा उसकी लिखी हुई वस्तृताएं अपनी ओर से पार्लमेंट में पढ़ कर सुनाया करें। पार्टी से सम्वन्धित डूमा के सदस्यों में एक अत्यन्त योग्य व्यक्ति रोमान मालोनोस्की भी था। लेनिन ने स्टालिन का ध्यान उसकी ओर विशेष रूप से आकषित किया था और कहा था कि पार्टी में इस व्यक्ति का भविष्य उज्जवल दहिगावर होता है । वह न केवल एक अच्छा व्याख्याता था, अपितु प्रत्येक प्रकार से विश्वसनीय भी था और सदैव हृदय से कांति के पक्ष का पोषण करता रहता था। लेनिन जैसे नेता की सिारिश के पश्चात् यह असम्भव था कि स्टालिन माली नोरफी को अपना घनिष्ट मित्र न बनाता। दोनों में सच्ची मिटता हो गई। परिणाम यहां तक हुआ कि वह एक ही कमरे में रहने लगे। रूसी पार्लमेंट का सदस्य चाहे किन्हीं विचारों का व्यक्ति क्यों न हो, उसका निवास स्थान प्रत्येक प्रकार से सुरक्षित समझा जाता था। ऐसे सदस्यों को रूस में विशेष
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