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[पवन किये हुए थे उनमें से ड्यूड भी एक था। रूसी पुलिस इस समस्या को एक नम्बे समय तक हल न कर सको कि वह क्यों उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने में असमर्थ रहो, जो उन तलाशियों के समय स्टालिन के नाम से प्रसिद्ध था। स्टालिन क्रान्ति काल में ६ बार गिरफ्तार हुआ। दो बार अपने मित्रों के द्रोह से और चार पार केवल अवसर के परिणाम स्वरूप । पुलिस का यह दावा था कि वह अपनी व्यवस्था के बल पर उसे पकड़ सकती है। किंतु उसको इस मिथ्या विचार को बहुत शीघ्र अपने दिमारा से निकाल देना पड़ा। भाखिर कौनसा साधन था जिससे स्टालिन अपने आपको इतना गुप्त रख सका । यह स्पष्ट है कि स्टालिन किसी समय धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर चुका था। अत: यदि ऐसी कोई परिस्थिति उत्पन्न होता तो वह पादरो के वेश में किसी समाधिस्थान में प्राश्रय प्राप्त कर लेता। पुलिस को स्वप्न में भी यह विचार नहीं हो सकता था कि वह भीषण क्रान्तिकारी कभी ऐसा सौम्यमूर्ति पादरी भी हो सकता है, जिसका जीवन साक्षात् अग्नि की चिगारी था। बम बराबर फटते चले गए। पुलिस ने उस भीषण काँति- कारी को खोजने के लिये-जिसका हाथ इन षड़यंत्रों के मूल में -देश का चप्पा २ छान मारा, किन्तु वह उसे गिरफ्तार करने मे सफल न हुई । बड़ी कठिनता यह थी कि पुलिस के अधिकारियों को इस व्यक्ति का नाम भी ज्ञात न था। वह आश्चर्यजनक फुर्वी और अभ्यास के कारण अपने प्रकट रूप में परिवर्तन कर लेता था। अतः उसके सही हुलिये से कोई भी परिचित न था। यदि पुलिस को अत्यन्त खोज के पश्चात् कुछ ज्ञात हुआ तो केवल यही कि अपने साथियों में इस व्यक्ति का नाम 'कोबा' प्रसिद्ध है। किंतु यह रखनवी कोका कौन है ? यह भेद न खुन सका।