[पाँचीस लेनिन इस आन्दोलन का संचालक और नेता था। उसने बुम हिदायतें अपने महान् सहयोगी कोनातोकी के नाम भेजी थी, बो वर्षों से उसके साथ कार्य कर रहा था। सं उसका सहायक नेता समझा जाता था। इन्हीं हिदायतों में से एक बाक्य यह था- "हमें नवयुवकों को ऐसी पद्धति पर तयार करना चाहिये कि वह भावी क्रांति के लिए न केवल अपना अवकाश का समय दें, अपितु अपने सम्पूर्ण जीवन को वह इसके लिये लगाने को गत हो जावें।" जोजक भी लेनिन के सहायक के पास पहुँचा। खयाल किया जाता है कि कमेटी के दूसरे मेम्बर जो कई बार बैद की सकाए भुगत चुके थे, निसन्देह इस नवयुवक के मुख से उसके भीवन की घटनाएं सुन कर मुस्कराए होंगे। सास कर उस समय बब इसने अपने गुजरे हुए क्रांतिकारी समय का हाल वर्णन करते हुए विद्यार्थियों के जरुसों में गर्व के साथ कहा होगा कि इन्हीं आन्दोलनों के कारण उसे पाटशाला से निर्वासित किया गया था। अपने संक्षिप्त क्रांतिकारी भूतकाल के आधार पर नवयु- बक खोजके को निश्चित रूप में अल्पायु पर यन्तकारियों की मणि में नहीं गिना जा सकता था। तो भी नब को लोकी ने उसकी प्रभावशाली वात-चीत सुनी और उसकी चमकीली भांखों को देखा तो उसने सहज ही जान लिया कि अबकी बार एक ऐसा नवयुवक मिल गया है कि जो लेनिन की इच्छामों के अनुसार न केवल अपना अवकाश का समय, अपितु अपना सारा जीवन इसकांति की भेंट कर सकता है। बोलके में कुछ ऐसे गुण थे, जिनके कारण वह नवयुधकों
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