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[वीस सम्बन्ध में उसके दृष्टिकोण में मौलिक परिवर्तन हो गया। यह पीछे बतलाया जा चुका है कि सोसो नामक विद्रोही लड़का एक प्रकार से फिर से उसकी आत्मा में जाग्रत हो गया था-वही लड़का जो किसी के आधीन रह कर काम करना घृणित समझता था। परिणाम यह हुआ कि थोड़े ही समय में वह जो सबसे अन्त में इस श्रेणी में सम्मिलित हुआ था, इसका नेता बन गया। पहले जल्से में जाने के कुछ सप्ताह पश्चात् उसने विद्यार्थियों को एक कमेटी बनाई और बड़ी वीरता के साथ यह प्रतिज्ञा की कि जो विद्यार्थी अब तक इस आन्दोलन से प्रथक तथा उदासीन रहे हैं, मैं उनमें से एक २ से वार्तालाप करूंगा और उनकी शंकाओं का समाधान करने का पूरा प्रयत्न करूंगा। आन्दोलन के गुप्त कार्यों का अभी उसे कोई खास अनुभव न था, लेकिन किसी गुप्त शक्ति के प्रभाव में उसने जन्म-सिद्ध शेलक की भांति कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। कुछ सप्ताह पश्चात् पुलिस दुबारा पाठशाना की तलाशी लेने आई और पुलिस सर्वाधिकारी ने विद्याथियों से कुछ प्रश्न भी पूछे । परन्तु इस तलाशी से उन्हें कुछ भी प्राप्त न हुआ। बात वास्तव में यह थी कि जोजक ने क्रांतिकारी सभा के रूप में इस बात का खास ध्यान रक्खा था कि आपत्तिजनक कोई पत्रांश भी प्रकट न होने पावे। अतः इस उत्तम प्रबन्ध से उसने यह सिद्ध कर दिया कि वह कौनसे विशेष गुण हैं जो उसके ब्यत्तित्व में निहित हैं और जिन्होंने उसे भविष्य में संसार-प्रसिद्ध 'स्टालिन' बना दिया। जोजक की आयु १८ वर्ष की हो गई थी। अब उसके जीवन में एक कठिन प्रश्न उपस्थित हुआ। वह सोचने कि मैं इस पाठशाला के नियमानुसार एक वर्ष और पिता कर