विचार परिवर्तन यह पहला ही अवसर था कि तफलस की पुलिस ने एक प्रतिष्ठिव धार्मिक संस्था की चहार दीवारी के अन्दर घुसकर उसमें निवास करने वालों की तलाशी ली। वस्तु स्थिति यह थी कि गुप्त षडयन्त्र जिसका प्रारम्भ कुछ वर्ष पूर्व रूस के दक्षिणी भाग में हो चुका था, अब शनैः २ भयानक अवस्था में आ रहा था। वह समाजवादी श्रेणि, जिसके सदस्य पहले अपने प्रधान केन्द्र तफलस से माक्सवाद के सिद्धान्तों का प्रचार करते रहते थे अब इतनी शक्तिशाली हो गई थी कि उसने खुल्लमखुल्ला शासन का विरोध करना प्रारम्भ कर दिया था। परस्थिति के यथार्थ रूप को जान कर अधिकारियों को भी हस्तक्षेप करने पर विवश होना पड़ा। परिस्थिति में इतना परिवर्तन आ चुका था कि इस श्रेणि के कार्यकर्ता स्वतन्त्रतापूर्वक ऐसे इश्तहार और सूचना बांटते फिरते थे, जिनमें जनता को विद्रोह के लिये उकसाया जाता था। जब कोई शान्ति प्रिय रूसी बाजार में कोई वस्तु खरीदने जाता तो जिस लिफाफे में उसे सामान बन्द करके दिया जाता था उसमें फ्रान्तिकारी मेरिण की एक सक्षिप्त पत्रिका अवश्य रख दी जाती थी। समाजवादी श्रेणि के कार्यकर्ता प्रत्येक स्थान पर
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