पुरगुप्त--कुछ नहीं। (भीतर जाता है)
भटार्क--तो जायँ, सब जायँ; गुप्त-साम्राज्य के हीरों के-से उज्ज्वल-हृदय वीर युवकों का शुद्ध रक्त, सब मेरी प्रतिहिंसा राक्षसी के लिये बलि हो!
३५