पृष्ठ:स्कंदगुप्त.pdf/४०

यह पृष्ठ प्रमाणित है।
प्रथम अंक
 

पुरगुप्त--कुछ नहीं। (भीतर जाता है)

भटार्क--तो जायँ, सब जायँ; गुप्त-साम्राज्य के हीरों के-से उज्ज्वल-हृदय वीर युवकों का शुद्ध रक्त, सब मेरी प्रतिहिंसा राक्षसी के लिये बलि हो!

३५