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कालिदास
 

कालिदास है कि सिंहल के राजकुमार धातुसेन (कुसारदास ) से कालि- द्ास की बड़ी मित्रता थी । उसने कालिदास को वहाँ डुलाया । ( महावंश के अनुसार इसका राज्यकाल ५११ से ५९४ ईसवी है तक है ) यह राजा स्वय छच्छा कवि था । जानकी-हरण ह 7 इसका वनाया हुम्रा प्रन्थ है---- जानकीहरण कर्तु रघुर्वशेस्थिते सति ह6 कवि: कुमारदासा रावणो: यदिच्मः घा वा सोडृल की बनाई हुई 'उद्य-सुन्दरी-कथा' में एक श्लोक है- ए्यात: कृती कोपि च कालिद्ासः शुदक्षा सुधास्मादुमती च यस्य वाणी मिघाजण्ड मरीचिगोत्र सिन्धोः परंपारमवाप कीर्तिः । वभूदुरन्धेपि कुमारदारः इत्यादि ।* हमारा चनुसान है कि * सिन्धो: पर्रपार * सें कालिदास शर कुसारदास के सम्बन्ध की ध्वसति है । - उ्योतिविदाभरण' को बहुत-से लोग ईसकी छठी शताब्दी का बना हुयआ मानते है ; और हम भी कहते है कि वह ईसवी की पाँचवी शताब्दी के अंत और छठी के प्रारम्भ में होनेवाले कालिद्ास की क्षति है । नाटककार से पीछे भिन्न एक दूसरे कालिदास के होते का, और के बल काव्यकार होते का, उससें एक स्पष्ट प्रमाण है।

  • काव्यत्रयं सुमतिकृद्रधुबंश पूर्व, पूर्व ततोननुकियच्छू ति कम्मैंबाद:,

ज्योतिर्विदाभरणकालविधानशास्त्र श्रीकालिदासकवितेाहि तता बभूब'* इस श्लोक सें छठी और पाँचवीं शताब्दी के ज्योतिर्विंदा- भरणकार कालिदास अपने को केवल काव्यत्रयी का ही कर्ता ह5 इ१

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